5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम . 5 मुखी रुद्राक्ष में 5 मुख होता है इसीलिए इसे पच मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इसके 5 मुख में महादेव यथा – सद्योजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव के रूप में निवास करते है। पंचमुखी रुद्राक्ष में पञ्च देवों के निवास होने के कारण इसको शिव का आत्म-स्वरूप भी कहा जाता है। यह रुद्राक्ष प्रायः सभी स्थान में पाया जाता है। यह नकली रूप में कम ही पाया जाता है। यह अनेक गुणों से युक्त है। इसके धारण करने से जातक को धन-दौलत, सोहरत एवं संतान सुख मिलता है। वास्तव में इस रुद्राक्ष को सभी रुद्राक्षों में सबसे शुभ तथा पुण्य फल देने वाला कहा गया है।

मनुष्य जाने या अनजाने रूप में पापाचरण करता है उसके बाद पश्चाताप भी करता है और कई बार पश्चाताप की अग्नि इतनी प्रबल होती है की जातक को जीते जी मार देता है इस प्रकार के परेशानियों से बचने के लिए व्यक्ति को अवश्य ही 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण मात्र से ही सभी पाप स्वतः ही नष्ट हो जाते है। इस रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और आर्थिक शक्ति की वृद्धि होती है परिणामस्वरूप व्यक्ति सुखानंद प्राप्त करता है।

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम

5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए उसके बाद घर में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद 5 मुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित निम्नलिखित मन्त्र में से एक का जाप करें ।

प्रायः सभी पुराणों में मन्त्र अलग-अलग दिया गया है यथा —

पद्म पुराणानुसार :- ॐ हूं नमः।

शिवमहापुराण :- ॐ ह्रीं नमः।

मन्त्रमहार्णव :- ॐ हूं नमः।

परम्परानुसार :- ऊँ ह्रां आं क्ष्म्यौ स्वाहा।

इस मंत्र का जाप महादेव की प्रतिमा के समक्ष कम से कम 108 बार (एक माला) करना चाहिए। 5 मुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।

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