चलित कुंडली या दशम भाव मध्य स्पष्ट का निर्माण कैसे होता है?
चलित कुंडली या दशम भाव मध्य स्पष्ट का निर्माण कैसे होता है? जन्मकुंडली का निर्माण जिस विधि से किया जाता है सामान्यतः उसी विधि से सर्वप्रथम दशम भाव स्पष्ट निकाला जाता है उसके बाद लग्न के भोगांश और दशम भाव के भोगांश के आधार पर भाव मध्य निकाला जाता है। सबसे पहले एफिमेरीज़ की सहायता से विधि पूर्वक जन्म कुंडली निर्माण हेतु लग्न स्पष्ट करते हैं, अर्थात प्रथम भाव संधि और भाव मध्य का निर्माण होता है। लग्न स्पष्ट के बाद ग्रह स्पष्ट कर लग्न कुंडली बनती है तत्पश्चात चलित अथवा भाव मध्य की कुंडली बनाते हैं।
चलित कुंडली भाव स्पष्ट वा भाव मध्य विशेषता
चलित कुंडली के निर्माण के समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किस भाव में कौन सी राशि भाव मध्य पर स्पष्ट हुई है। प्रथम भाव में जो राशि स्पष्ट हुई है उसे प्रथम भाव में और दूसरे भाव में जो राशि स्थित हुई उसे दूसरे भाव में अंकित करते हैं। इसी प्रकार सभी बारह भावों में जो राशि जिस भाव मध्य पर स्पष्ट हुई उसे उस भाव में अंकित करते हैं न कि क्रमानुसार से अंकित करते हैं।
जन्मकुंडली के राशि चक्र और नवांश इत्यादि वर्ग जिसमे सभी ग्रह स्थित होता है की स्थापना कर लेने के बाद यह भी महत्वपूर्ण है की सभी भावों के मध्य को निकाला जाए। सभी भावों के मध्य के निकालने से यह पता लगेगा कि भाव के विस्तार के अनुरूप ग्रह कौन से भाव में प्रतिष्ठित है। भाव मध्य से यह भी स्पष्ट होगा की ग्रहों का प्रभाव राशि की सीमा तक ही नहीं है अपितु विशिष्ट भाव स्थिति के कारण भी है।
भाव मध्य चक्र वा कुंडली के माध्यम से राशियों को स्थान न देकर विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों को स्थान दिया जाता है। यहीं कारण है कि भाव-मध्य-चक्र का निर्माण कुंडली विश्लेषण हेतु बहुत जरूरी है। इस कुंडली के माध्यम से ग्रहों के विभिन्न भाव में स्थित ग्रहों के आधार पर सटीक भविष्यवाणियां की जा सकती है। ओपल रत्न पति-पत्नी क्लेश को दूर करता है
आइये जानते हैं दशम भाव मध्य स्फुट की गणना कैसे करते है ?
जिस प्रकार निर्देशित क्षण घंटा, मिनट और सेकंड के आधार पर लग्न निकालते हैं उसी प्रकार लग्न के लिए निर्देश क्षण के आधार पर टेबल ऑफ़ असेंडेंट में स्थित दशम भाव स्पष्ट की सहायता से दशम भाव मध्य निकाला जाता है। दशम भाव मध्य निकालने पर भी अयनांशा घटाना जरूरी होता है।
चलित कुंडली दशम भाव स्फुट की गणना
जन्म समय का सम्पात काल 10 घंटा 20 मिनट 13 सेकंड है इसके आधार पर टेबल ऑफ़ असेंडेंट के माध्यम से इस प्रकार दशम भाव स्फुट निकालते हैं।
10 घंटा 24 मिनट के लिए —— 4 राशि 11 डिग्री 7 मिनट
10 घंटा 20 मिनट के लिए —— 4 राशि 10 डिग्री 3 मिनट
अब 10 घंटा 20 मिनट के लिए —— 4 राशि 10 डिग्री 3 मिनट में 3 मिनट जोड़ देंगे तो 4 राशि 10 डिग्री 6 मिनट हो जाएगा। पुनः इस मान में अयनांशा घटाते है। यहां अयनांशा का मान 53 मिनट है इसे घटाने पर दशम भाव स्पष्ट होगा — 4 राशि 9 डिग्री 13 मिनट।
इस प्रकार दशम भाव स्फुट होगा —– 4 राशि 9 डिग्री 13 मिनट।
कैसे निर्धारित करेंगे भावों के भाव मध्य ?
सभी भावों के मध्य को निकालने के लिए निम्न प्रकार से गणना करते हैं जैसे ——
लग्न भाव स्पष्ट ——- 7 राशि 2 डिग्री 26 मिनट या 212 डिग्री 26 मिनट
दशम भाव स्पष्ट —— 4 राशि 9 डिग्री 13 मिनट या 129 डिग्री 13 मिनट
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घटाने पर —————- 2 राशि 23 डिग्री 13 मिनट या 83 डिग्री 13 मिनट हुआ।
यदि इस मान को 6 से भाग करेंगे तो 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड आएगा और इसे दशम भाव स्पष्ट में जोड़ने से भाव संधि का मान निकल जाएगा। यदि 3 से भाग देंगे तो भाव मध्य निकल जायेगा।
इस प्रकार से निकालें भाव मध्य?
दशम भाव का भोगांश | 4 राशि | 09 डिग्री 13 मिनट |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
संधि | 4 राशि | 23 डिग्री 03 मिनट 10 सेकंड |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
ग्यारहवें भाव मध्य | 5 राशि | 06 डिग्री 57 मिनट 20 सेकंड |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
संधि | 5 राशि | 20 डिग्री 49 मिनट 30 सेकंड |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
बारहवें भाव मध्य | 6 राशि | 04 डिग्री 41 मिनट 40 सेकंड |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
संधि | 6 राशि | 18 डिग्री 33 मिनट 50 सेकंड |
+ | 13 डिग्री 52 मिनट 10 सेकंड | |
प्रथम भाव मध्य | 7 राशि | 02 डिग्री 26 मिनट 00 सेकंड |
उपर्युक्त प्रकार से अन्य भाव के भाव संधि और भाव मध्य निकाल लेंगे।