बारहमुखी रुद्राक्ष मंत्रिपद दिलाता है | Twelve Mukhi Rudraksh

बारहमुखी रुद्राक्ष मंत्रिपद दिलाता है | Twelve Mukhi Rudraksh बारहमुखी रुद्राक्ष मंत्रिपद दिलाता है क्योंकि यह साक्षात सूर्य स्वरूप ही है। इसके धारण करने से धन-धान्य,  मान-सम्मान की वृद्धि होती है। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते है और अश्वमेघ यज्ञो का फल मिलता है। सूर्य को कुंडली में आत्मा, पिता, सरकार ऊर्जा इत्यादि का कारक माना जाता है। यदि किसी कारणवश जन्मपत्रिका में सूर्य कमजोर (नीच, दुःस्थान या अशुभ ग्रहों के साथ या दृष्ट हो) होता है तो धन धान्य, मान-सम्मान की कमी तथा जीवन संघर्षशील बन जाता है। बिना संघर्ष के सफलता नहीं मिलती है। जातक में निराशा तथा परेशानी छाया की तरह साथ-साथ चलती रहती है। अतः इसे समाप्त करने के लिए सूर्य का कुंडली में बलि होना अत्यंत जरुरी है। बारहमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सभी प्रकार के समस्याओ से छुटकारा पाया जा सकता है ।

सूर्य तथा बारहमुखी रुद्राक्ष (Sun and Twelve Mukhi Rudrkash)

सूर्य को सभी जीवो की उत्पत्ति का कारक भी कहा गया है – आदित्यादेव भूतानि जायन्ते। कहा गया है की जिस प्रकार सूर्य दृश्य ग्रह-मंडल के बीच राजा की तरह है उसी प्रकार जो मनुष्य इस रुद्राक्ष को धारण करता है वह अपने देश और काल का राजा बन जाता है। इस संसार के अन्धकार को दूर करने वाले सूर्य इस रुद्राक्ष के माध्यम से धारणकर्ता के मन के भीतर के निराशा पीड़ा दुःख इत्यादि को दूर कर देते हैं। यदि कोई जातक राजा की तरह अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है तो यह रुद्राक्ष सर्वाधिक सहायक सिद्ध होता है।

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बारहमुखी रुद्राक्ष से लाभ (Benefit from Twelvemukhi Rudraksh)

बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार के लाभ मिलता है।

  • सिद्ध बारह मुखी रुद्राक्ष से आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति को समृद्ध करता है।
  • इस रुद्राक्ष के धारण करने से पारिवारिक सुख शांति मिलती है।
  • इससे नकारात्मक विचार नष्ट होता है तथा सकारात्मक विचार का संचार होने लगता है।
  • यह शासकीय/प्रशासनिक शक्ति और राजत्व विधान देता है।
  • यह सभी प्रकार के दुर्घटनाओ से बचाने वाला बीमा (Insurance) की तरह है।
  • यह सभी प्रकार के रोगो से छुटकारा दिलाने में समर्थ है।
  • इसके धारण करने से जातक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
  • यह व्यक्ति को सूर्य की तरह यशस्वी बनाता है।

समस्या का समाधान करने वाला है बारहमुखी रुद्राक्ष

प्रत्येक व्यक्ति आज किसी न किसी समस्या से अवश्य ही ग्रसित है और उस समस्या के समाधान करने हेतु सभी प्रकार के उपायो का प्रयोग करता है कभी सफलता मिल जाती है तो कभी सफलता नहीं मिलती। उन उपायो में एक उपाय है बारहमुखी (द्वादशमुखी) रुद्राक्ष। यदि किसी के कुंडली में सूर्यदेव से सम्बंधित कोई समस्या है यथा – कुंडली में नीच का सूर्य होना, छठे, आठवें या बारहवें भाव के स्वामी होकर जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या उत्पन्न कर रहा हो, समाज अथवा कार्यस्थल पर या सरकार द्वारा बिना कारण अपमानित होना पर रहा हो तो वैसी स्थिति में बारहमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए इसके धारण करने से सभी प्रकार की समस्याएं अवश्य ही धीरे-धीरे दूर हो जाएगी तथा स्वयं और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाएगा।

स्वास्थ्य लाभ में बारह मुखी रुद्राक्ष रामवाण है।

यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के रोगो को दूर करने में समर्थ है। इसके धारण करने से सूर्यदेव तथा विष्णु भगवान प्रसन्न होते है।यदि कोई जातक अक्सर बीमार रहता है या मानसिक रूप से  परेशान रहता है तो ऐसे में बारह मुखी रुद्राक्ष उस जातक के लिए ब्रह्मास्त्र के समान है। इसके धारण करने से सरदर्द, नेत्रपीड़ा, बवासीर, यकृतदोष,  हृदयपीड़ा, त्वचा रोग अथवा फेफड़ों के रोग शीघ्र ही दूर हो जाते है।

बारहमुखी रुद्राक्ष और एकमुखी रुद्राक्ष

बारहमुखी रुद्राक्ष को एकमुखी रुद्राक्ष के अभाव में पहनने का विधान है इसे एकमुखी रुद्राक्ष का स्थानापन्न माना गया है। वैसे तो गौरीशंकर रुद्राक्ष भी एकमुखी रुद्राक्ष का स्थानापन्न है किन्तु रोगो के निवारण की दृष्टि से गौरीशंकर रुद्राक्ष की स्थानापन्न प्रभावहीन होती है। यही कारण है की एकमुखी रुद्राक्ष का रोग-निवारक एवं ग्रह शांतिदायक रुद्राक्ष बारहमुखी रुद्राक्ष ही हो सकता है क्योकि एकमुखी और बारहमुखी रुद्राक्ष दोनों का संचालक ग्रह सूर्यदेव ही हैं।

एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि तथा मन्त्र

एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु सर्वप्रथम नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए अनन्तर घर में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास,करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद बारहमुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप धयानपूर्वक करना चाहिए। कहा गया है की अभीष्ट मंत्र से अभिमंत्रणपूर्वक भक्ति भाव से युक्त होकर ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

रुद्राक्ष धारण हेतु पुराणों में प्राप्य मन्त्र निम्नप्रकार से है  —

  1. पद्म पुराणानुसार :-  ॐ हूं ह्रीं नमः।
  2. मन्त्रमहार्णव  :-      ॐ हूं ह्रीं नमः।
  3. शिवपुराण :-           ॐ क्रों क्षौं रौ नमः।

इस मंत्र का जाप कम से कम 108  बार (एक माला) अवश्य ही करना चाहिए तथा इसे रविवार के दिन धारण करना चाहिए।

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