Vyatipata Upagraha | बारह भावों में व्यतिपात का फल
Vyatipata Upagraha | बारह भावों में व्यतिपात का फल ज्योतिष शास्त्र में राशि, ग्रह, भाव, भावेश, भाव कारक ग्रह, उच्च का ग्रह, नीच का ग्रह, शुभ तथा अशुभ ग्रह के आधार पर जातक के भविष्य फल का कथन किया जाता हैं। जिस प्रकार खगोल शास्त्र में कुछ ग्रहों के किंचित उपग्रह का भी अन्वेषण किया गया उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में भी उपग्रह का निर्धारण किया गया है। ज्योतिष के उपग्रह, आकाशीय पिंड न हो कर, कुछ गणितीय शोधन से उत्पन्न सिद्ध बिंदु (जैसे राहु एवं केतु) हैं, जो मानव जीवन के क्रियाकलापों पर, अपने स्वाभाविक गुण-दोष के अनुसार प्रभावित करता है।
प्राचीन ग्रंथ ‘जातक पारिजात’ में विभिन्न उपग्रहों का परिचय मिलता है। यथा ——
काल परिधि घूमार्द्ध प्रहरा ह्वयाः। यमकंटक कोदंड मान्दि पातोपकेतवः।।
अर्थात सूर्यादि नव ग्रहों के क्रमशः काल, परिधि, धूम, अर्धयाम, यमघंट, कोदंड, मांदि, पात (व्यतिपात ) तथा उपकेतु – ये नौ उपग्रह हैं। पराशर मुनि ने इन उपग्रहों को ‘अप्रकाश ग्रह’ कहा है। वस्तुतः उपग्रह काल्पनिक तथा अप्रकाशीय मात्र छाया ग्रह है। सामान्यतः सभी उपग्रह अशुभ फल ही प्रदान करते है परन्तु विशेष स्थिति में शुभ फल भी देने में समर्थ होते हैं। फलित ज्योतिष मे उपग्रह का विचार बहुत कम किया जाता है।
इस लेख में हम व्यतिपात नामक उपग्रह के विभिन्न भावों में स्थित होने पर क्या फल देगा उस पर विचार करते हैं। व्यतिपात योग 2019-20
बारह भावों में व्यतिपात का फल |Effect of Vyatipat in Twelfth House
लग्न वा प्रथम भाव – यदि इस भाव में व्यतिपात उपग्रह स्थित है तो जातक कोई न कोई रोग से ग्रसित होता है। वह हमेशा उदास तथा स्वयं को कोसते रहता है। ऐसा जातक कोढ़ नामक व्याधि से भी ग्रसित होता है।
द्वितीय भाव | Second House
इस भाव में यदि व्यतिपात बैठा है तो ऐसा व्यक्ति बोलचाल में निपुण होता है। वह अपनी वाणी के कारण प्रसिद्धि प्राप्त करता है। उसकी में मधुरता एवं चातुरता दोनों का वास होता है। कई बार तो ऐसा लगेगा जैसे उसके जिह्वा पर सरस्वती ही विराजमान हैं। परन्तु यदि अशुभ ग्रह का प्रभाव है तो फल में कमी आएगी।
तृतीय भाव | Third House
यदि किसी व्यक्ति के तृतीय स्थान में व्यतिपात नामक उपग्रह स्थित है तो वैसा जातक गायन कला में प्रवीण होता है। उसका इंट्रेस्ट म्यूजिक में होता है। वह इस क्षेत्र में अपना नाम रोशन करता है। इस जातक में इतना सामर्थ्य होता है की वह गायन के क्षेत्र में अलग राग की खोज कर सके।
चतुर्थ भाव | Fourth House
चतुर्थ स्थान में व्यतिपात के होने पर जातक धन-धान्य से सम्पन्न होता है। उसके पास अनेक वाहन होता है। यदि जातक किसान है तो उसके घर उन्नत नस्ल के पशु हो सकते हैं।
पंचम भाव | Fifth House
इस स्थान में व्यतिपात नामक उपग्रह के होने पर जातक को पुत्र जन्म के जन्म से दुख प्राप्त होता है। व्यक्ति अपने पुत्र से परेशान रहता है । पुत्र के कुकर्म वा दुष्कृत कर्म के कारण समाज में अपमानित होता है ।
षष्ठ भाव | Sixth House
षष्ठ भाव में व्यतिपात के होने से जातक के अंदर अनेक बुराइयों का समावेश हो जाता है। उसका जीवन कठिनाइयों से भरा होता है। कोई भी कार्य सहज रूप से नहीं होता प्रत्येक कार्य के लिए अथक मेहनत करना पड़ता है।
सप्तम भाव | Seventh House
सप्तम स्थान में व्यतिपात के होने पर व्यक्ति निर्धन होता है। ऐसे जातक के पास धन का अभाव देखा गया है। यदि ऐसा जातक पार्टनरशिप में कोई कार्य करे तो उसे नुकसान होता है। ये मेहनत करने से भी जी चुराते हैं।
अष्टम भाव | Eighth House
अष्टम भाव में व्यतिपात का फल शुभ कहा गया है। इस स्थान में व्यतिपात के होने पर जातक सब कलाओं में निपुण होता है। उसे पैतृक सम्पत्ति मिलने की संभावना होती है। ऐसा जातक जुआ या शट्टे में पैसा लगाता है।
नवम भाव | Ninth House
नवम स्थान में इस उपग्रह के होने पर व्यक्ति भाग्यहीन होता है। इस जातक को भाग्य से कुछ नहीं मिलता यदि ऐसा व्यक्ति भाग्य के नाम पर बैठा रहेगा तो उसका जीवन नरक तुल्य बन सकता है। ऐसे जातक को मेहनत पर भरोसा करना चाहिए।
दशम भाव | Tenth House
दशम स्थान में व्यतिपात के होने पर अग्नि का भय बना रहता है। जातक का धन स्वयं के क्रोध के कारण नष्ट होता है। ऐसे व्यक्ति को अपने वाणी पर कंट्रोल करना चाहिए।
लाभ भाव | Eleventh House
लाभ स्थान में इस उपग्रह के होने पर व्यक्ति राजा से सम्मान प्राप्त करता है। ऐसा जातक सरकारी नौकरी करता है। ये सामजिक कार्य में अहम भूमिका निभाते हैं।
बारहवां भाव | Twelfth House
व्यय भाव में व्यतिपात होने पर व्यक्ति भ्रष्ट होता है। ऐसा जातक कुकर्म करता है। अपना धन अपने दोस्तों के ऊपर खर्च करके नष्ट करता है। इनके मान-सम्मान पर ठेस पहुँचता है। कई बार इन्हें अपमान भी सहना पड़ता है।