Moon in Tenth House – दशम भाव में चन्द्रमा
Moon in Tenth House – दशम भाव में चन्द्रमा व्यक्ति को पद एवं प्रतिष्ठा दोनों दिलाता है। ऐसा व्यक्ति धर्मात्मा होता है। इसे अपने बन्धु बान्धवों से सुख प्राप्त होता है। इनका बचपन कुछ कष्ट से गुजरता है परन्तु यौवन में सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। यदि जातक के दो पुत्र है तो ज्येष्ठ (बड़े) पुत्र से कष्ट की संभावना बनीं रहती है। दोनों में परस्पर विचारों की भिन्नता होती है इसी कारण ऐसा अनुभव में आया है कि पिता और पुत्र दोनों अलग अलग निवास करते हैं।
दशम भाव में चन्द्रमा एवं मनोविज्ञान ( Moon in Tenth House & Psychology)
आप बुद्धिमान व्यक्ति तो हैं ही साथ आप दयालु और निर्मल स्वाभाव के भी हैं। आप अल्प में भी संतुष्ट ( Satisfy) हो जाते हैं अर्थात् आप स्वभाव से ही संतोषी व्यक्ति हैं। आप बेहद ही कार्यकुशल व्यक्ति हैं इसलिए निश्चय ही आप जीवन में बडी सफलता प्राप्त करेंगे। ऐसा व्यक्ति सकारात्मक विचार से युक्त होते हैं। यदि दशम भाव में चन्द्रमा हो तो जातक सर्वत्र विजय प्राप्त करता है। यह जिस काम को हाथ में लेता है उसी में सफलता मिलती है।यदि कोई अशुभ ग्रहों कि दृष्टि या युति से युक्त न हो तो ऐसा जातक हमेशा शुभ कर्मों में लगा रहता है। सज्जनों को संगति से कार्यों में प्रगति होती है। प्रसिद्ध कवि जयदेव ने कहा है –
” जयी सिद्धारम्भो नभसि शुभकृत सत् प्रियकर:”।
ऐसे व्यक्ति की समाज में तथा कार्यस्थल पर लोकप्रियता भी अच्छी खासी होती है। ये अपनी वाणी से व्यापार में वृद्धि करते है अर्थात वाणी ही व्यापार है।
दशम भाव में चन्द्रमा और व्यवसाय ( Moon in Tenth House and Business)
व्यापार और व्यवसाय के मामलों में भी आप अत्यंत कुशल हैं। आप नौकरी भी ऐसा करेंगे जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जनता से सम्बन्ध बन रहा हो। जनता आप से प्यार करेंगे और आप भी जनता से प्यार करेंगे। ऐसे मनुष्य को सरकार से धन की प्राप्ति होती है अर्थात् व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा ऐसा मेरे अनुभव में आया है।आपको अपने व्यवसाय में कई बार परिवर्तन करना पड़ सकता है। आपको विदेश यात्रा करने का भी अवसर मिलेगा। माता के साथ आपके संबंध अच्छे रहेंगे यही नहीं बंधू बांधव भी आपके प्रेमी होंगे। आप महत्वाकांक्षी बनिए अवश्य ही आपके कार्य का दायरा बढ़ेगा और समाज में प्रतिष्ठित होंगे।
दशम भाव में चन्द्रमा और स्वास्थ्य (Moon in Tenth House and Health)
दशम भाव का चन्द्रमा शत्रु क्षेत्री हो या पाप ग्रह/अशुभ ग्रहों से युक्त हो तो मनुष्य सर्दी-खांसी जैसे रोग से परेशान रहता है। उनका शरीर निर्बल होता है। दूषित चन्द्रमा यहाँ कितने प्रकार के रोग को जन्म दे सकता है। यदि चन्द्रमा नीच का होकर दशम भाव में स्थित है और अशुभ ग्रहों से भी सम्बन्ध बन रहा है तो मनुष्य अपने व्यवसाय को लेकर डिप्रेशन जैसी घातक बीमारी का शिकार हो जाता है।