Makar Sankranti

Makar Sankranti 2024 | मकर संक्रान्ति कब और कैसे मनाना चाहिए

Makar SankrantiMakar Sankranti 2024 | मकर संक्रान्ति कब और कैसे मनाना चाहिए यह जानना जरुरी होता है। भारतवर्ष में मकर संक्रान्ति बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दूओं का यह एक प्रमुख त्यौहार है। उत्तर भारत में यह पर्व मकर संक्रान्ति के नाम से प्रसिद्ध है तो वहीं तमिलनाडु में यह पर्व पोंगल के नाम से जाना जाता है। सूर्यदेव जिस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उसी दिन यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है ।यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष जनवरी महीना में चौदहवें या पन्द्रहवें दिन को ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी आरम्भ हो जाती है।

कब मनाएं ? मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) 2024

इस वर्ष मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया  जाएगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व उस दिन मनाया जाता है जिस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। 15 जनवरी को 00:20 प्रातः सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्योदय के समय हो रहा है इसी कारण मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया  जाएगा।

भारतीय पर्वों में सभी त्योहारो का निर्धारण चन्द्र की गति के आधार पर होता है किन्तु केवल मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) ही एक ऐसा पर्व है, जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है। लीप ईयर के कारण संक्रांति का क्रम  प्रत्येक दो साल में बदल जाता है।  2024 में वापस से 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी।

मकर संक्रान्ति मुहूर्त 

पुण्य काल मुहूर्त :07:15:13 से 12:30:00 तक 

महापुण्य काल मुहूर्त :07:15:13 से 09:15:13 तक 

संक्रांति पल :02:31:04

क्यों है ? मकर संक्रान्ति का इतना महत्त्व (Importance of Makar Sankranti)

मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का ऐतिहासिक महत्व भी है ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव स्वयं ही अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर तथा कुम्भ राशि के स्वामी हैं। यही नही इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण में प्रवेश करते। शास्त्र में सूर्य का उत्तरायण होना शुभ माना जाता है और यही कारण है कि इस दिन से ही भारतीय हिन्दू समाज में सभी शुभ कार्य जैसे – शादी के वर ढूढना, नए घर में प्रवेश करना आदि प्रारंभ हो जाता है।

भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि उत्तरायण में शरीर का परित्याग करने से जीव का पुनर्जन्म नही होता है और वह ब्रह्म को प्राप्त करता है इसीलिए महाभारत काल में भीष्मपितामह ने भी अपनी शरीर त्यागने के लिये उत्तरायण का ही चयन किया था। इसी दिन गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024

सूर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश का महत्त्व

सामान्यत:सूर्यदेव एक वर्ष में सभी राशियों में संचार करते हैं तथा उन राशियों को प्रभावित भी करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक एवम् आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही उपयोगी माना गया है। सूर्य का इन दो राशियों में संचरण वा संक्रमण क्रिया छ:-छ: मास के अन्तराल पर होती है। सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो वह सूर्य का दक्षिणायन होना कहलाता है वही मकर मे प्रवेश उत्तरायण कहलाता है।

भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पूर्व सूर्यदेव दक्षिणी गोलार्ध में होते है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होते है। यही कारण है कि यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। ठीक इसके विपरीत मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं दिन का बड़ा होने स्पष्ट है की प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटा होने से अन्धकार कम होगा। इससे स्पष्ट है कि यह पर्व जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों को समाप्त कर आनंदानुभूति प्रदान करता है। प्रकाश सत्त्वगुण का प्रतीक है पतंजलि ने कहा है सत्त्वं प्रकाशम्

यही नहीं यह पर्व जीवन में आने वाले उत्साह का प्रतीक है। इसी कारण इस पर्व को प्रकाश भी कहा जाता है। प्रकाश के आधिक्य होने से प्राणियों में चेतनता एवं कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। इसीलिए भारतीय हिन्दू समाज के लोग इस दिन सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजा अर्चना करते हुए अपनी कृतज्ञता प्रगट करते हैं।

मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) में क्या करना चाहिए  

इस दिन जप, दान, तप,  स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस विशेष अवसर पर दिये गए दान से धन-धान्य की वृद्धि होती है। इस दिन कम्बल का दान करना चाहिए। घी (घृत) का दान करना भी शुभ होता है। इसके दान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता है-

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम्।

स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दिन गंगास्नान करना चाहिए तथा वही गंगातट पर दान भी करना चाहिए। इस दिन किए गए दान को महादान कहा गया है और इस दान से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

यह कार्य अवश्य करें

  • इस पर्व पर गंगासागर तथा प्रयाग में स्नान का विशेष महत्व है। यदि आप नदी में जाकर स्नान नहीं कर पाते है तो कोई बात नहीं घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा तिल तथा गंगाजल  डालकर स्नान कर लें आपको अवश्य ही गंगा स्नान का फल मिलेगा।
  • स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य के लिए एक तांबे के कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चंदन,चावल,तिल, और लाल फ़ूल डालकर ” ॐ धृणि आदित्याय नम: ” मंत्र का उच्चारण करते हुये सूर्य भगवान को अर्ध्य प्रदान करे। उसके बाद यदि कर सके तो मनोवांक्षित कामना को ध्यान में रखकर सूर्यदेव के द्वादश नामो के मंत्र का उच्चारण कर जप करें ।
  1. ॐ सूर्याय नम:
  2. ॐ भास्कराय नम:
  3. ॐ रवये नम:
  4. ॐ मित्राय नम:
  5. ॐ भानवे नम:
  6. ॐ खगाय नम:
  7. ॐ पुष्णे नम:
  8. ॐ मारिचाये नम:
  9. ॐ आदित्याय नम:
  10. ॐ सावित्रे नम:
  11. ॐ आर्काय नम:
  12. ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
  • इस दिन पंचशक्ति साधना करना चाहिए।  पंचशक्ति साधना में शिव,गणेश, विष्णु, महालक्ष्मी तथा सूर्य भगवान आते है।  इस दिन इनकी साधना संयुक्त रूप से करने से स्वास्थ्य लाभ तथा सर्वबाधा से विनिर्मुक्ति मिलती है।
  • चूड़ा, दही, तिलकुट के भोग लगाना चाहिए तथा चूड़ा , दही, तिल का दान भी करना चाहिए।
  • रात में खिचड़ी बनाकर खाना चाहिए।

1 Comment

  1. बहुत ज्ञानवर्धक ।

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