प्रथम भाव के स्वामी का दूसरे भाव में फल | First lord in second house

प्रथम भाव के स्वामी का दूसरे भाव में फल | First lord in second houseप्रथम भाव के स्वामी का दूसरे भाव में फल | First lord in second house दूसरा भाव धन भाव का स्थान है यदि इस भाव में लग्न का  स्वामी  बैठा है तो ऐसा जातक अपने प्रयास से धन की बढोतरी करता है। वह अपने जीवन में धन की कमी नहीं महसूस करेगा और अपने सम्पूर्ण जीवन काल में खूब धन कमाएगा। यदि दुसरे भाव का स्वामी भी अपने ही भाव में स्थित है तब तो क्या कहना ऐसा जातक अपने जीवन में धन का अभाव कभी भी महसूस नहीं करेगा। जीवन भर धन का लाभ किसी न किसी रूप में मिलता ही रहता है । यही नहीं ग्रह के स्वभाव के अनुसार धन संग्रह करता है। इनके पास बैंक में भी पैसा फिक्स होता है।

दूसरा भाव :  धन, मुख, नेत्र तथा वाणी का है 

दूसरा भाव जन्मकुंडली में धन के अतिरिक्त मुख, वाणी, दांत और नेत्र का भी भाव है । यदि प्रथम भाव का स्वामी इस स्थान में होता है तो जातक का चेहरा खूबसूरत होता है आनुवंशिक कारण से यदि सांवला भी है तो बहुत ही आकर्षक और मोहक छवि वाला होता है । ऐसा आदमी बहुत बोलता है बार बार अपनी बड़ाई खुद ही करते रहता है। वैसे इनकी वाणी में चतुराई छुपी हुई होती है परन्तु यह सब निर्भर करता है कि कौन सा ग्रह इस स्थान में स्थित है। इनकी आंखें तथा दांत सुन्दर व खूबसूरत होती है। ऐसा जातक अपननी वाणी, सुंदरता और शारीरिक सौष्ठव से भी धन अर्जित करता है।

दूसरा भाव : मारक स्थान भी है 

दूसरा स्थान मारक स्थान भी होता है जिसके कारण जब लग्न का स्वामी मारक स्थान में जाता है तो शरीर संबंधी कोई न कोई समस्या अवश्य होती है। नेत्र, दांत, कान, गला तथा मानसिक परेशानी सामान्यतः देखा गया है। यदि लग्न का स्वामी तथा भाव दोनों अशुभ ग्रह से पीड़ित है तो राशि और ग्रह के अनुसार फल मिलता है।

दूसरा भाव : परिवार का भाव  है

दूसरा भाव परिवार का भाव भी है अतः लग्न स्वामी जब इस भाव में होता है तो पारिवारिक पारिवारिक जिम्नेदारी उठाना पड़ता है परन्तु यह सब स्थिति तब आयेगी जब भाव तथा भावेश दोनों शुभ स्थिति में हो यदि अशुभ स्थिति में भाव तथा भावस्थ ग्रह हो तो ऐसा जातक घर वा अपने परिवार के जिम्मेदारी उठाने से बचना चाहता है तथा अंततः वह पैतृक स्थान को छोड़कर दूर भी चला जाता है।

प्रथम भाव के स्वामी का दूसरे भाव में फल | First lord in second house

यदि दूसरे भाव का स्वामी दूसरे भाव में ही लग्नेश के साथ हो तो वैसी स्थिति में जातक के घर का माहौल अच्छा देखा गया है।  पारिवारिक संबंधों को पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करता है तथा पारिवारिक कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है। धार्मिक स्थानों की यात्रा भी करता है।

ऐसे जातक की प्रथम प्राथमिकता धन कमाना होता है वह येन केन प्रकारेण धन कमाना चाहता है और इसमें वह सफल भी होता है। ऐसे जातक कुछ धन गुप्त रूप से अवश्य ही रखता है कभी कभी यह भी देखा गया है की वह इसकी जानकारी अपने परिवार के सदस्यो को भी नहीं देता है। प्रथम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में दो शादी भी देता है। यवन जातक के अनुसार —

तनुपतिर्धनभावगतो भवेत् धनयुतं पृथुदीर्घशरीरिणम  

विलघुजीवीतमन्त्रकुटुम्बिनं विविधमदकधर्मयुक्तं कुरुते नरम।

अर्थात ऐसा जातक धन से युक्त लंबा-चौड़ा शरीर वाला दीर्घजीवी  तथा  धार्मिक कार्यो में भाग लेने वाला होता है।

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