द्विमुखी रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए वरदान स्वरूप है।

द्विमुखी रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए वरदान स्वरूप है।

द्विमुखी रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए वरदान स्वरूप है।द्विमुखी रुद्राक्ष हरगौरी-स्वरूप(अर्धनारीश्वर) है  इसे धारण करने से भगवान शिव अत्यंत ही प्रसन्न होते है। द्विमुखी रुद्राक्ष में दो धार होते हैं। इसके दो धार आदि-अन्त, जन्म-मृत्यु, शिव-गौरी के रूप में विद्यमान है। वस्तुतः यह दो धार द्वैताद्वैत, परमात्मा और आत्मा ब्रह्म और जीव का,ईश्वर और माया का, पुरुष और स्त्री के एकत्व का प्रतीक स्वरुप है। वास्तव में इसमे दोनों शक्तियां समृद्धि और सुरक्षा विद्यमान रहती है। यह रुद्राक्ष अत्यंत ही सहज और सुलभ है। यह प्रायः चपटे आकार में पाया जाता है।

क्यों धारण  करना चाहिए द्विमुखी रुद्राक्ष

द्विमुखी रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए वरदान स्वरूप है क्योकि यह रुद्राक्ष स्त्रियों के स्वास्थवर्धक तथा गर्भरक्षक के रूप में प्रतिष्ठित है। दो मुखी रुद्राक्ष देवी और देवता स्वरूप है, जो अनेक पापों को सहज ही नष्ट कर देते हैं। द्विवक्त्रो देवदेव्यौस्या द्विविधं नाश्येदधम। द्विमुखी रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए स्वास्थवर्धक और गर्भ रक्षक माना जाता है।

पद्म पुराणानुसार –  जो द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसके सभी पापों का क्षय हो जाते है। गोवधादि के पाप भी नष्ट हो जाते है। इसके धारण से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

देवदेवो द्विवक्त्रं च यस्तु धार्यते नरः।

सर्वपापं क्षयं याति यद्गुह्ययं गोवधदिकम्।।

स्वर्गं चाक्षयमाप्नोति द्विवक्त्र-धारणात्ततः।।

द्विमुखी रुद्राक्ष साक्षात अग्नि-स्वरूप है। जिसके शरीर पर यह प्रतिष्टित होता है उसके जन्मार्जित पाप वैसे ही नष्ट हो जाते है जैसे आग ईंधन को जला देती है।

द्विवक्त्रं अनलः साक्षाद्यस्य देहे प्रतिष्ठति। तस्य जन्मार्जितम् पापं दहत्यग्निरिवेन्धनम्।।

अग्नि पूजा से जो फल मिलता है और घृत की आहुति से संपन्न अग्निकार्य से जो फल मिलता है, उसे दो मुखी रुद्राक्ष धारण करनेवाला सत्पुरुष तुरंत ही प्राप्त कर लेता है और अंत में स्वर्ग का सुख भी भोगता है।

यत्फलम् वह्रिन-पूजायामग्निकार्ये घृताहुतौ। तत्फलम् लभते वीरः स्वर्गं चान्तमश्नुते।।

जिस मनुष्य के ऊपर स्त्री-हत्या, ब्रह्म-हत्या या ऐसी अनेक हत्याओं का पाप लगा हुआ है यदि वह व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है तो उसके पाप यथाशीघ्र ही नष्ट हो जाते है। पद्म पुराण में भी कहा गया है —

स्त्रीहत्याब्रह्महत्याभ्याम् बहूनां चैव हत्यया। यत्पापं लभते मर्त्यः सर्वं नश्यति तत्क्षणात्।।

द्विमुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष

यह चंद्रमा के कारण उत्पन्न प्रतिकूलता के लिए धारण किया जाता है। हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क, गुर्दों तथा नेत्र रोगों में इसे धारण करने पर लाभ पहुंचता है। यह ध्यान लगाने में सहायक है। इसे धारण करने से सौहार्द्र लक्ष्मी का वास रहता है। इससे भगवान अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं। उसकी ऊर्जा से सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं तथा दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।यह स्त्रियों के लिए वरदान स्वरूप है। यह संतान जन्म तथा गर्भ की रक्षा करता है।साथ ही मिर्गी रोग को तुरंत नष्ट करता है।

धनु व कन्या राशि वाले तथा कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालों के लिए इसे धारण करना लाभप्रद होता है।

द्विमुखी रुद्राक्ष धारण विधि तथा मन्त्र

द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए तदुपरांत गृह में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करादिन्यास, हृदयादिन्यास  तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद द्विमुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप करना चाहिए।

प्रायः सभी पुराणों में मन्त्र भिन्न-भिन्न दिया गया है यथा —

पद्म पुराणानुसार :- ॐ खं द्विवक्त्रस्य

शिवमहापुराण :- ॐ नमः।

मन्त्रमहार्णव :- ॐ ॐ नमः।

परम्परानुसार :- ऊँ ह्रीं क्षौं श्रीं ऊँ

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (एक माला) करना चाहिए तथा इसको सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।

2 Comments

  1. Mein kundli se meen rashi ki Hun aur Janam se vrishik rashi ki…mera garbh past hua pichle mahine…mujhe Santan prapti ke kuch upaye btaye Acharya jee..kripa kare Uttar jarur de

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